काश सबका सच एक होता! शेर और शावक एक जैसा सोचते एक ही शाश्वत सच को जीते, या तो दोनों दौड़ते एक-दूसरे को खाने के लिए या बचाने के लिए!
हिंदी समय में प्रांजल धर की रचनाएँ